उत्तर प्रदेश की मुखिया बहन मायावती, जो लगातार अपने मंत्रियो के भ्रष्टाचार के आरोपों और विपक्ष के लगातार दबाव से घिरी दिख रही थी, आखिर अपना नया राजनीतिक दांव खेल दिया... जिससे देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश चार भागों (अवध प्रदेश, पूर्वांचल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड) में विभाजित करने की बात कही है... बहन जी ऐसी पहली मुख्यमंत्री होंगी जो सत्ता में रहते हुए भी प्रदेश बटवारे की मांग उठाई हैं... बहन जी का यह दांव जिसके लिए न कभी प्रदेश में कोई राजनीतिक आन्दोलन हुआ और न ही कभी प्रदेश के रहने वालों ने इसके लिए आवाज़ बुलंद की जिस प्रकार पृथक तेलंगाना के लिये किया गया है... हाँ यदा कदा अमर सिंह जैसे नेताओं ने राजनैतिक रोटियाँ सेकने के उद्देश्य से अलग पूर्वांचल की और बुंदेलखंड के कुछ स्थानीय गुटों ने अलग बुंदेलखंड की आवाज़ जरूर उठाई थी... सन 1947 में अस्तित्व में आए उत्तर प्रदेश को जो पहले यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ प्रोविंस एंड अवध था, विकेंद्रीकरण के इस खेल बाद निश्चित रूप से बहन जी के लिए राजनितिक दृष्टिकोण से बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा... जाहिर है बहन जी कोई नौसिखिया राजनीतिज्ञ नहीं है और प्रदेश विभाजन से सबसे ज्यादा फायदा मिलने की बात हो तो बहन जी की बहुजन समाज पार्टी सबसे पहले पायदान पर दिखेंगी और यह निश्चित रूप से विभाजन का यह खेल राजनैतिक फायदे के लिए किया गया है... वहीं अगर विपक्षी दलों की बात करें तो प्रदेश विभाजन के इस खेल को सियासी दांव बता रहे है , वहीं राजनीतिक आंकड़ो के लिहाज़ से अगर बात की जाय तब भी प्रदेश विभाजन के पश्चात बहन जी को राजनीतिक लाभ मिलता दिखाई पड़ रहा है... क्योंकि वर्तमान समय में अगर विधानसभावार प्रदेश में सीटों का बटवारा देखा जाय तो चारो प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार ही बनती दिखाई पड़ रही है... वहीं प्रदेश की राजनीतिमें कद्दावर माने जाने वाले विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और अजित सिंह की राष्ट्रीय लोक दल को अच्छा खासा झटका लग सकता है...
UP: STATE DIVISON
REGION | BSP | SP | BJP | INC | RLD | OTHERS | TOTAL | BSP(-) |
PURVANCHAL | 83 | 43 | 18 | 9 | 0 | 5 | 158 | 75 |
AVADH | 46 | 40 | 14 | 6 | 0 | 7 | 113 | 67 |
BUNDELKHAND | 29 | 7 | 5 | 5 | 0 | 0 | 46 | 17 |
WESTERN UP | 48 | 7 | 14 | 2 | 10 | 5 | 86 | 38 |
TOTAL | 403 |
|
वर्त्तमान सीटो के आधार पर दल गत स्थिति
वैसे प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य विभाजन की बात करना बेमानी ही है क्योंकि संसद का शीतकालीन सत्र और उत्तर प्रदेश का शीत कालीन सत्र लगभग साथ- साथ शुरू होता और विभाजन का यह प्रस्ताव संभवतः संसद के बज़ट सत्र में आएगा तो विधानसभा चुनाव के पहले विभाजन केवल एक परिकल्पना ही लगती है... लेकिन विभाजन के इस नए खेल के साथ मायावती ने उत्तर प्रदेश के बाहर भी राजनीतिक पारी खेलने का मन बना लिया है और और अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को बढ़ाने की इक्षा जाहिर की है और वहीं एक दिलचस्प बात यह देखने को मिलेगी कि वह पार्टी में अन्य लोगों के साथ राजनीतिक सत्ता की लूट साझा करने के लिए तैयार हैं... बहन जी के इस फैसले से पता चलता है कि मायावती ने उत्तर प्रदेश के बाहर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू कर दिया है, लेकिन केंद्र की राजनीति में पकड़ बनाने में अभी बहुत लम्बा सफ़र तय करना बाकी है क्योकि पुरानी कहावत यह चरितार्थ करती है की "दिल्ली अभी दूर है"... लेकिन निश्चित रूप से देखा जाय तो बहन जी का यह कदम जो की चुनावी लाभ लेने की नीयत से किया गया फैसला है विकास के नजर से इसका स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि साम्प्रदायिकता और जातिवाद से पीड़ित प्रदेश में विकास की राजनीती की शुरुवात है...
अतुल कुमार मिश्र
रिसर्च मैनेजर
इंडिया न्यूज़
नोट - आप लेखक से इंडिया न्यूज चैनल में संपर्क कर सकते हैं.....
1 comment:
धन्यवाद विवेक जी पोस्ट को अपने ब्लॉग में जगह देने के लिए ......
Post a Comment