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Saturday, October 25, 2008

पलायन करते पुरबिया .....

आखिरकार क्यों पुरबिया लोग पलायन करते है ......कारण अशिक्षा , बेरोजगारी , गरीबी और बढ़ते अपराध है । इनके पीछे क्या कोई यह जनता है की कारण कौन है ????? जवाब आता है वही राजनीती की अड़ंगेबाजी। बिहार में कभी लालू की कभी नीतिश की ..... उत्तर प्रदेश में माया मुलायम भी कम नही है । कहने को तो इन प्रदेशो में खनिज संसाधनों की कमी नही है लेकिन रोजगार के तो जैसे लाले पड़ गए है
उद्योग धंधो की कमी के चलते ये यू पी और बिहार के लोग महानगरो की ओर रुख करते है और वहां जगह भी बना लेते है । इसमे कोई संदेह नही है कि ये पुरबिया मेहनती और इमानदार है। लेकिन ये कम अपने यहाँ भी किया जा सकता है । इसके लिए जरुरत है सरकार क खिलाफ एक आन्दोलन कि एक क्रांति कि ।
क्यो ये पुरबिया मजबूर है पलायन
के लिए ?
अब जवाब ये निकल के आता है यहाँ कि सरकार जो विगत पच्चीस सालो से यहाँ राज कर रही है । क्यों महाराष्ट्र और अन्य महानगरो में उत्तर प्रदेश और बिहार कि अपेक्षा रोजगार अधिक है । देश के संसद में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व ये पुरबिया ही करते है तो अपने प्रदेश में विकाश के नाम पे इनकी संख्या कम क्यो हो जाती है ?
हमारा ये मानना है की राज ठाकरे को दोष देने के बजाय ये पुरबिया अपने नेता लालू , नीतिश , मायावती , और मुलायम को दोष दे तो ज्यादा ठीक होगा । ये वो नेता है जिनके कारण ये पुरबिया पलायनवादी रुख अख्तियार करते है ।
कहते है राजनीती में सब जायज है तो राज ठाकरे की राजनीती भी एक तरीके से जायज है । जब ये उत्तर प्रदेश और बिहार के नेता अप्रत्य्क्ष्य रूप से प्रदेश को खोखला कर रहे है तो राज ठाकरे प्रत्यक्ष्य रूप से अपने वोट बैंक को मजबूत कर रहे है ।
देखना यह है की ये वोट की राजनीती कब तक चलती रहेगी ? कब तक हम मासूम जनता इन राजनीती के ठेकेदारों की बलि चढ़ते रहेंगे? ? ?


Wednesday, October 15, 2008

माया सोनिया के बीच जंग में .....

माया सरकार के बारे में कहा जाता है कि ...माया अपने शासन काल में दोस्तों पे ज्यादा ही ध्यान रखती है और दुश्मनों पे पैनी नजर रखती है अभी ताजा - ताजा विवाद उभर के सामने आया है वो रायबरेली का है जहाँ पर सोनिया सरकार कि एक महत्वाकान्छी योजना रेल कोच फैक्ट्री शुरू होने वाली थी १४ अक्तूबर को सोनिया शिलान्यास भी करने वाली थी बाकिर माया को ये सब मंजूर नही था
बात कुछ भी हो लेकिन इस माया - सोनिया के बीच विवाद में पिस रहे है आम लोगो के सपने वो सब्जबाग सोनिया ने दिखाए थे चूर चूर हो गए ग्रामीणों कि उम्मीदे कि ये थी कि फैक्ट्री लगेगी रोजगार मिलेगा , उन्हें क्या पता था कि राजनीती के आगे ये सब नही चलता
रेल कोच फैक्ट्री के बंद होने से वह के लोगो में काफी आक्रोश है , खून खराबे किसी भी स्थिति बन गई थी, शायद रायबरेली दूसरा सिंगुर भी बन जाता हाँ एक बात और कुछ भी घटना होती है तो आरोप प्रत्यारोप का दौर जरुर चलता है माया का कहना है किसी अगर सोनिया को उत्तर प्रदेश में विकास करना है तो तमाम जगह है जहा वो विकास कर सकती है रायबरेली के पीछे क्यो पड़ी है
इसका सबसे ज्यादा प्रभाव गरीब आदमी पे ही पड़ता है फिलहाल गलती किसी कि भी हो चोट तो आम आदमी को ही लगती है पेट तो आम आदमी का ही जलता है भाई