Thursday, May 15, 2008
महफूज नही है महिलाएं दिल्ली में
हमारे पुराणों धार्मिक ग्रंथो मी यू तो महिलाओ की स्थिति देवी के समान दर्शया गया है , लेकिन हमेशा से ही उनको अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता रहा है , चाहे वो सीता के रूप मे हो या फ़िर आज की गुडिया ...
दिल्ली मे महिलाओ की स्थिति की चर्चा करे तो राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जैसे आधुनिक शहर मे महिलाओ के खिलाप अपराध मे सबसे ज्यादा बढोत्तरी हुई है । कभी तंत्र - मंत्र के नाम पर की हत्या कर दी जाती है तो कही पड़ोसी द्वारा बलात्कार यह पीडा किसी भी रूप मे हो सकती है ।
दिल्ली मे अभी हाल ही मे एक सर्वे के अनुसार बलात्कार के ५३३ मामले और छेड़ छाड़ के ६२९ मामले दर्ज किए गए है । यह आकडे एनी बड़े शहरो की तुलना मे काफी अधिक है । ऐसे मामलो मे निरंतर ब्रिधि का सबसे बड़ा कारण है दोषी के ऊपर न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध न होना ।
यू तो हर तरह के अपराध से निपटने के लिय कानून है पर यह सब अपराध के आगे फिसड्डी नजर आते है , राष्ट्रीय महिला आयोग की माने तो बलात्कार छेड़ छाड़ एवं अगवा जैसे मामलो मे आरोप सिद्ध न होना एक चिंता का विषय है । देश भर मे २००६-०७ मे ३७ हजार मामले सामने आए है जिनमे दोष सिद्धि का प्रतिशत ३० से भी कम था , और एक बात बलात्कार के मामले मे तो यह आकडा २७ % से अधिक नही बढ़ पाया ।
समाज मे बलात्कार पिडिता एक दर्द लिए हर दिन मरती रहती है , ऐसे मे इन पिदितो के लिए कुछ प्रावधान होने चाहिए ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके । ज्यादातर मामलो मे पिडिता बदनामी के डर से पुलिस मे मामला दर्ज ही नही कराती है ।
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1 comment:
I dont know very much about Delhi but i want to say something about the place of my alma mater i.e.Allahabad.When i went there to study leaving my protective 3 elder brothers a decade ago i was aghast to see the nadir of female veneration over there.I still shudder when i think about the wolves of Tara chand hostel!I was flabbergasted to hear the sleazy comments about the whole demeanour of a girl student.I used to wonder what was wrong with me.Probably wearing jeans and speaking good English was not going down well with those hostel stalwarts.No, it could not be that.why could anybody have any probs with a language?Probably it was more to do with their indigestion of a girl's individuality.and yes, before i proceed further,let me make it clear that it was not just TCians but the whole lot flanking Lalla Chungi to University road(only A.N.Jha vicinity reflected hushed oohs and aahs).It used to get impossible for we hostlers to go to Commerce fac or Law fac.I am unable to vocalise the trauma we faced during those days.I always reckoned myself to be quite strong a person but even my confidence got whimpered during those days.Now after many years when i went again to Allahabad to do a refresher course in University,you know where we got to stay?Boys Engineering college hostle and that too we used to go from the English Department to our hostle via t.c. hostle!!!Yes,buddies,there is a completely changed Allahabad now.i dont know it was due to a change in my perception or transformation in my persona(that they didnt consider a mom of 2 kids worth commenting.)but i really found this beautiful city abrased of its old crap mentality.We can fathom its reasons next time.Seriously,i am working on that.Till then feel happy that Allahabad is a better city for the girl students.
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